तेरे अंदर का बच्चा जिद करने लगा
कि तपती दोपहरी में दूरदेश जाना है
"तपती धूप तुम्हे बीमार करे तो
दर्द को सहने किसी को नहीं आना है
ये नजारो का सुख तो पल दो पल का है
पर बाद में तो तुझे ही भोगना और पछताना है "
बच्चा तो बड़ा कभी बन ही नहीं सकता
कहाँ समझता है , बस रूठ जाना है
"हमारे घर के अंदर प्रेम,
संवेदना, सामंजस्य कोई छीन नहीं सकता
अगर तू भी न सुने ,
"वह तो खिड़की के बाहर किसी का चिल्लाना है "
सौत के साये का आधिपत्य है ,
भले ही वह निकट हो या नहीं ,कुछ फर्क नहीं पढता
ऐसा अनुभव कर मेने 8 माना है .
वह नहीं समझा मेरी बात , में क्यों उदास होने लगी
यूं ही क्यों किलसने लगी ,
"मेरे पास तो प्रभु का खजाना है ",
यह मुझे नहीं भुलाना है .यह मुझे नहीं भुलाना है .
कि तपती दोपहरी में दूर
"तपती धूप तुम्हे बीमार करे तो
दर्द को सहने किसी को नहीं आना है
ये नजारो का सुख तो पल दो पल का है
पर बाद में तो तुझे ही भोगना और पछताना है "
बच्चा तो बड़ा कभी बन ही नहीं सकता
कहाँ समझता है , बस रूठ जाना है
"हमारे घर के अंदर प्रेम,
संवेदना, सामंजस्य कोई छीन नहीं सकता
अगर तू भी न सुने ,
"वह तो खिड़की के बाहर किसी का चिल्लाना है "
सौत के साये का आधिपत्य है ,
भले ही वह निकट हो या नहीं ,कुछ फर्क नहीं पढता
ऐसा अनुभव कर मेने 8 माना है .
वह नहीं समझा मेरी बात , में क्यों उदास होने लगी
यूं ही क्यों किलसने लगी ,
"मेरे पास तो प्रभु का खजाना है ",
यह मुझे नहीं भुलाना है .यह मुझे नहीं भुलाना है .
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