बुधवार, 22 फ़रवरी 2017




अहा ! आयी बसंत




नानक तिना बसंत है  जिन घर वसिया कंत।
जिन के कंत दिसापुरी  से  अहिनिसि फिरै जलन्त।

बसंत ऋतु का आभास उनको  होता है , जिनके  घर (मन ) में  पति  (प्रभु ) बस गए हैं।  अर्थात यदि  प्रभु  की दी हुई अनगिनत कृपाओं (बख्शिशों) को ध्यान में रखेंगे तो हम आनंदित रहेंगे।
 (कुछ समय प्रकृति माँ  की गोद में, वृक्षों की छांव में, विकसित फ़ूलों को निहारते हुए जीवनदायिनी शुद्ध वायु में साँस लेंगे, तो बसंतागमन अनुभव होगा। हमारा मन जो हमारे पास नहीं है, उसकी तरफ नहीं जायेगा। )
जिन के पति परदेस में हैं , अर्थात जिन के मन में पति (प्रभु ) का ध्यान , स्मरण  नहीं है , वे दिन-रात  (ईर्ष्या , द्वेष ,चिंता में) जलते  रहते हैं, (अप्रसन्न रहते हैं, क्योकि वे सांसारिक बंधनों अभावों के कारण अतृप्त रहते हैं।)









O Brutus,

T'is good you have noble aim
to stab Julius--
But
You'll be able to see them fully, soon after the implementation of the deed.
All the senators are playing another game
their faces behind the mask, full of ego and greed.
Alas! Your highness,good faith with moral character hardly adjust
when they will depict their originally creed.