नानक तिना बसंत है जिन घर वसिया कंत।
जिन के कंत दिसापुरी से अहिनिसि फिरै जलन्त।
बसंत ऋतु का आभास उनको होता है , जिनके घर (मन ) में पति (प्रभु ) बस गए हैं। अर्थात यदि प्रभु की दी हुई अनगिनत कृपाओं (बख्शिशों) को ध्यान में रखेंगे तो हम आनंदित रहेंगे।
(कुछ समय प्रकृति माँ की गोद में, वृक्षों की छांव में, विकसित फ़ूलों को निहारते हुए जीवनदायिनी शुद्ध वायु में साँस लेंगे, तो बसंतागमन अनुभव होगा। हमारा मन जो हमारे पास नहीं है, उसकी तरफ नहीं जायेगा। )
जिन के पति परदेस में हैं , अर्थात जिन के मन में पति (प्रभु ) का ध्यान , स्मरण नहीं है , वे दिन-रात (ईर्ष्या , द्वेष ,चिंता में) जलते रहते हैं, (अप्रसन्न रहते हैं, क्योकि वे सांसारिक बंधनों अभावों के कारण अतृप्त रहते हैं।)
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