शनिवार, 25 जुलाई 2015

मेरा मुझ मैं कुछ नहीं (भाग -१)

 मेरा मुझ मैं कुछ नहीं भाग -१
 जो भी लिखा है इसमें मेरा कुछ नहीं , बस कुछ मुक्ता-कण  संतों- महात्माओं के प्रवचन से मिले हैं , शेयर कर रही हूँ। 
चैतन्य कौन है ?चैतन्य वह है जो प्रमाद -रहित  है।-
  सबसे बड़ी शक्ति उस व्यक्ति के  हाथ में है , जिसमे है एकाग्रता।
एकाग्रता वह विभूति है जिसके बिना आप महान  नहीं बन सकते।
यदि आप बड़े नहीं बन सके तो आप के पास है प्रमाद। अपने वैरी गिनने लगें तो एक ही है वह -प्रमाद। प्रमाद,आलस्य आता है अज्ञानता से  और पतन का मूल कारण भी यही है।   
                                                                                                                                         क्रमशः

क्षमा कीजिये

शब्द 
शब्द की सत्ता  विराट है , मारक भी है और तारक भी ।
जो शब्द की साधना कर लेते हैं , ब्रह्म को पा लेते हैं, विश्व में शासन करते हैं।
शब्द में अमृत छुपा है। .
शब्द बोधक भी है और औषधि भी।
शब्द का प्राणघातक प्रभाव भी होता है ।
अतः शब्द का प्रयोग सोच समझ कर करें।
क्षमा कीजिये यह सब मैं  स्वयं के लिए लिख रही हूँ।

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साधक कौन

साधक कौन है?
साधक वह है , जिसका एकांत पवित्र है , जिसके स्वप्न पवित्र हो गए हैं।  जिसके एकांत में सयंम रहे , नैतिकता रहे ,अस्वाद ,अक्रोध , अनिंदा व् समता रहे , वही साधक है.