रविवार, 13 दिसंबर 2020

मसकीन जी कहा करते थे-

 

मसकीन जी कहा करते थे-"जो समय में  मिलता है, उसे समय छीन लेगा।// मन चला जाता  है यादों  में । जो मिला था, चला गया।// सुखों से अधिक दुख व मित्रों से अधिक दुश्मनों की याद आती  है, ऐसा मनोचिंतक कहते हैं ।कारण कि दुख , दुश्मन  गहरी  चोट पहुँचा जाते हैं ।सुख उथला पानी है, दुख  गहरा पानी है।// हंसते मनुष्य  को अगर कहें -मत हंस तो एकदम रुक जायेगा। रोते मनुष्य को कहे 'मत रो' चुप होने में  समय लगेगा । थमते थमते थमेंगे आंसू,रोना है कोई हँसी नहीं है ।रोना विछोड़े का-मित्र का,प्रिय वस्तु का,अच्छे क्षणों का,सत्ता का,धन का, प्रभुता का।जीवन  में महत्वपूर्ण है-समय।अपने को उत्तम बनाने में भूमिका है- समय की। ठीक समय पर श्रम,सोच किया गया फल देता है।

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