- हम मुँह से दो प्रकार की ऊर्जा पैदा कर सकते हैं। सबसे ज्यादा ऊर्जा पैदा करता है हमारा विचार ,जो सकारात्मक होता है या नकारात्मक।
- गुरु से परम ज्ञान प्राप्त करने के बाद निंदा नहीं करनी चाहिए।
- ऐसे स्थानों का भ्रमण करो,जहाँ प्रभु की ऊर्जा का वास हो, सिद्ध ऋषि की ऊर्जा का वास हो।
- अहं हमें संवदेनशील बनाता है ,अतः हम आहत होते हैं।अहं और भय प्रसन्नता नहीं देते।
- मित्र ने कुछ कह दिया तो आहत मत होवो ,सोचो की यह मित्र की सोच है।
- स्वयं को सही बताना , विवाद करना अहं पैदा करता है।
- सौ डिग्री तापमान पर पानी भाप बन जाता है ,ऐसे ही भक्त जब टप जाता है, तो अपना रूप गवांकर प्रभु-रुप हो जाता है।
- दो ऋण हम उतार नहीं सकते ,माँ का और गुरु का।
- लोगो से मदद मिलने पर हम उनका गुणगान करते हैं ,प्रभु के गुण कोई नहीं गाता।
- हमारे द्वारा किसी कर कार्य हुआ तो प्रभु का धन्यवाद करें कि हे प्रभु उसका काम तो होना ही था ,हमें निमित बना दिया।
- "बानी अमिओ रस है "वाणी मीठा रस है, यदि अंतर में जहर भरा है तो निंदा ही करेंगे। निंदा तब होती है जब अहंकार होता है। ईर्ष्या की आग में हम स्वयं ही जलेंगे। सर पर अहं का भार होगा तो मार्ग मुश्किल होगा ,कैसे प्रभु तक जाऊं ?जिस भाषा में प्रेम होगा ,प्रभु को समझ आएगी। सारे अवगुणों के गले में बेड़ी डाल दो। "मन साचा मुख साचा सोय। अवर न देखे एकस बिन कोय " मन में भी पवित्रता हो, वाणी में भी सत्यता हो,सब में प्रभु ही दिखाई दे और कुछ भी नहीं।
- संत कौन है ? "जिना सासि गिरासि न वीसरै"जो निर्भय है , निरवैर है।
- जहाँ भी रहते हो ,गुरु से जुड़े रहो जब मुस्कराहट आये तो समझो गुरु ने याद किया है।
- किसी के लिए काम प्रेम से होता है ,प्रेम की माला सदैव पास रखिये।
- राक्षस दया करे तो मनुष्य बन जाता है, मानव दया करे तो देव बन जाता है।
- देवता-जो स्वयं पर नियंत्रण रखे। मनुष्य-जो देना सीख जाये तो देवता बन सकता है। राक्षस -दया करे तो मानव बन सकता है।
- प्रत्येक मनुष्य में तीन वृत्तियाँ हैं ,यदि ऊपर उठना है तो तीनो चीज़ें सीखो,प्रभु की गोद में बैठने का अधिकार हो जायेगा। तीन चीज़ें पवित्र करती हैं। १ दान,यज्ञ २ दया ३ ज्ञान।
- वेदों को पढ़ो ,अच्छी बातें ,कुछ वाक्य रोज़ दोहराओ। ऊपर उठने के लिए जीवन मिला है,नीचे उतरने के लिए नहीं। कभी रुकिए नही।
- उम्र के साथ स्वभाव ,वाणी व् दृष्टि में शांति बढ़नी चाहिए।
- वेद कहते हैं -तुम्हारा जीवन आगे बढ़ने के लिए है। रोज़ कोशिश करो, मुस्काते रहो,जिम्मेदारियों से भागो नही।
- प्रभु मेरे कंधे इतने मजबूत करो की जिम्मेदारी उठा सकूँ। दूसरे के कंधे तो मुर्दे तलाशते हैं। अपने कंधे मजबूत करो, ज़िंदगी को जी भर कर जीना चाहते हो तो।
- मेरे दायें हाथ में पुरुषार्थ है तो बाएं हाथ में सफलता।
- जैसे बाहर से सुंदर दिखाई देते हो , स्वभाव को अंदर से बी सुंदर बनाओ।
- मनुष्य सांप बने , बिच्छू बने, अनेक योनियों से होकर हम आए हैं। योनियों का स्वभाव हमारे अंदर है. इस दुनिया में हम आ गए, वह पशुता हटाकर मनुष्य बने, दिव्यता को प्रकट करें जीवन में।
- इस शरीर को बोझ मत बनाओ। जिस दिन अपने लिए बोझ हुए तो सारी दुनिया के लिए बोझ बन जाओगे।
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रविवार, 11 अक्टूबर 2015
संतो के अनमोल वचन
लेबल:
कीमती उपहार,
महायज्ञ,
माता-पिता की सेवा
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