चार प्रकार की संतान होती है।
१. उत्तम बालक-जो माँ -बाप के हाव-भाव से समझ जाते हैं कि उन्हें क्या चाहिएऔर सेवा के लिए तत्पर रहते हैं
२ मध्यम बालक -जो माँ -बाप कहें, वही करते हैं।
३ अधम बालक - जो माँ -बाप का आज्ञा-पालन नहीं करते हैं।
४.चाण्डाल बालक - जो माँ-बाप को कष्ट देते रहते हैं।
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आसक्ति के दस केन्द्र:-
१. जननी ,२ जनक ३ बन्धु ४ सुत ५ दारा
६ तन ७ धन ८ धाम रहें सुयश और १० परिवार।
और आसक्ति जिसके साथ होती है, वह पागल जैसे हो जाता है। अतः इनसे बचिए।
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प्रार्थना -
हे प्रभु ! हमें शक्ति दो ताकि जिस काम के लिए भेजा है, उसे पूरा करें।
आप को पाना और आप का आदेश -पालन करना ही हमारे जीवन का लक्ष्य है। .
हमसे कुछ ऐसा कार्य करवाये जो संस्कृति, राष्ट्र, विश्व और जन-जन के हित मे हो।
कोई भी जीव ,प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में हमारे द्वारा आहत न हो।
सभी सुखी हों, शिक्षित हों, निरोग रहें व् संपन्न रहें।
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