भाभी ने फ़ोन पर बताया कि मदन सिंह मामाजी का स्वर्गवास हो गया। आंसू तो छलके पर साथ ही बचपन की मधुर स्मृृतिया एक -एक कर के आँखों के सामने दिखाई देने लगीं।
जब मैंने होश सम्हाला तो पाया घर में पापा , मम्मी और मदन सिहं मामाजी रहा करते थे। मामाजी को अक्सर ड्राईंग करते हुए देखा करती थी। यही कारण था कि बड़ा होकर मैं भी चित्रकला में रुचि लेने लगी । जब मैं बड़ी हो गई थी तो कभी -कभार मामाजी मुस्मुकराकर मुझे वे नाखूनो के निशान दिखाते,जो बचपन में मैंने उन्हें लगाये थे।साईकिल की अगली गद्दी पर बैठकर मामाजी के साथ घूमना मेरे मनोरंजन का हिस्सा हुआ करता था।और न जाने असीम यादें .........
जब मैंने होश सम्हाला तो पाया घर में पापा , मम्मी और मदन सिहं मामाजी रहा करते थे। मामाजी को अक्सर ड्राईंग करते हुए देखा करती थी। यही कारण था कि बड़ा होकर मैं भी चित्रकला में रुचि लेने लगी । जब मैं बड़ी हो गई थी तो कभी -कभार मामाजी मुस्मुकराकर मुझे वे नाखूनो के निशान दिखाते,जो बचपन में मैंने उन्हें लगाये थे।साईकिल की अगली गद्दी पर बैठकर मामाजी के साथ घूमना मेरे मनोरंजन का हिस्सा हुआ करता था।और न जाने असीम यादें .........