आज दीपावली का शुभ पर्व  है  , ५  नवम्बर   ,२०१०  , इस  समय  रात्रि  के  १२  बजकर  ४०  मिनट  हो  गए  हैं  ।  लेकिन  पटाखों  की  गढ़गढ़ाहत   कानो  में   लगातार  सुनायी  दे  रही  है॥
क्या हमारी भारत की माताएं ऐसी विस्फोटक ध्वनि सुनकर आनंदित हो रहीं है, या पुत्रों को रोक नहीं पा रही हैं या उनके इस साहसिक कार्य को देख गर्व अनुभव कर रही हैं ?
लाखों वृद्ध -जन साँस लेने में कष्ट झेल रहे होंगे । लाखों नवजात शिशु प्रदूषित वायु निगल रहे होंगे और हमारे भारत की युवा पीडी धन को बर्बाद कर एवं ध्वनि व् वायु प्रदूषण फैला कर उल्लास मना रही है । क्या सरकार जनहित में कोई कानून पारित नहीं कर सकती ? क्या वह अपने देशवासियों की दयनीय स्थिति से अनभिज्ञ है !
आईये , आपको राजधानी दिल्ली की कुछ झलकियाँ दिखाते हैं, जहाँ हाल ही में राष्ट्रमंडल खेलों २०१० का आयोजन हुआ था ।
क्या हमारी भारत की माताएं ऐसी विस्फोटक ध्वनि सुनकर आनंदित हो रहीं है, या पुत्रों को रोक नहीं पा रही हैं या उनके इस साहसिक कार्य को देख गर्व अनुभव कर रही हैं ?
लाखों वृद्ध -जन साँस लेने में कष्ट झेल रहे होंगे । लाखों नवजात शिशु प्रदूषित वायु निगल रहे होंगे और हमारे भारत की युवा पीडी धन को बर्बाद कर एवं ध्वनि व् वायु प्रदूषण फैला कर उल्लास मना रही है । क्या सरकार जनहित में कोई कानून पारित नहीं कर सकती ? क्या वह अपने देशवासियों की दयनीय स्थिति से अनभिज्ञ है !
आईये , आपको राजधानी दिल्ली की कुछ झलकियाँ दिखाते हैं, जहाँ हाल ही में राष्ट्रमंडल खेलों २०१० का आयोजन हुआ था ।








क्या आपके और हमारे दीपावली के दिन पटाखें जलाने से इनके जीवन में कोई सुधार आएगा ? निसंदेह नहीं, तोफिर इस अल्पकालिक प्रसन्नता हेतु स्वयं एवं भावी पीड़ी के लिए वातावरण को प्रदूषित क्यूँ करें !

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