बुधवार, 2 सितंबर 2015

संतो के अनमोल वचन



जीवन के स्तम्भ हैं -
  • आहार, 
  • निद्रा एवं 
  • ब्रह्मचर्य-निधि 

              
 

                                        महृषि चरक के अनुसार  हितकारी वह है, 
                                       जो शरीर की प्रकृति के अनुकूल है। 
                                        देह को भरा रखने के लिए मन खाली रखो। 



  आहार -अन्न ,प्राण ,औषधि आहार है।
  • धन 
धन,वित्त,,अर्थ ,सम्पति की तीन गति हैं 
  • १. दान,   
  • २ भोग, और
  •   ३ नाश।
  •  दान -अच्छे काम के लिए कहीं भी लगा हो। दान की तृप्ति सबसे बड़ी तृप्ति है। 
  • भोग -जो अत्यंत आवश्यक हो ,उसका भोग करें। 
  • नाश - जब दान नहीं करोगे , नाश होगा वित्त का।  माँ -बाप की सम्पति से कितनो का जीवन चल रहा है ? बच्चे  को योग्य बनाओ। 
  • भोजन कैसा हो ?
  •     भोजन में स्निग्धता हो -  घी , 
  • मधुरता -गुड़ की ढली ,
  • भोजन ताजा होना चाहिए।
     ब्रेड हमारी परंपरा का अंग नहीं है।बासी आहार जंक फ़ूड से बचें। 
  • भोजन  सुन्दर स्थान पर खाना चाहिए। 
  •  सबसे सुन्दर एकांत है। एकांत अर्थात्  शोर-शराबे से रहित। 
        आधा ध्यान टीवी में ,आधा भोजन में एकांत का नाश है।  
  • सामूहिक रूप से करने का विधान है। 
  • खाना चबा कर खाना चाहिए।
  • कम से कम  एक बार दिन में पालती मार  कर नीचे बैठ कर खाना चाहिए।
भोजन के बिना जीवन कर अर्थ कुछ नहीं। 
 जो कुछ कमा  हैं , वह भोजन के लिए है।  
अधिकतम  ३० मिनट चाहिए भोजन खाने  लगते हैं। 
खड़े -खड़े  भोजन नहीं करना चाहिए ,यह लाभकारी नहीं है। जान -बूझ कर् बीमारी को आमंत्रित  करते हैं। W.C. नहीं होना चाहिए। 

  • निद्रा 
  • भोजन  करने के दो घंटे बाद सोना चाहिए। 
  • रात को आहार कम लेना चाहिए 
  • रात १०-११ के बीच अवश्य सो जाना   चाहिए , आपात-काल  को छोड़ कर। 
  • सुबह ४-५ के बीच उठना चाहिए।  
सुबह जो जल्दी उठता है ,उसे कब्ज की शिकायत नहीं होती। देर से उठने वालों को कब्ज रहती है। 
कफ सुबह ४ से ६ बजे प्रबल होता है। दिन में पित्त बढ़ता है। रात में वायु ,घुटनो  जोड़ो  का दर्द, बढ़ता है। 
  • ठीक समय पर सोना ज़रूरी है। 
      सीधा सोने का विधान नहीं है, 
  • बायीं करवट सोएं। बाएं सुर से सूर्य नाड़ी प्रबल होती है।  हृदय पर जोर नहीं पड़ता है।
  •  तकिया इतना कि गर्दन नीचे न गिरे। डबल बैड का विधान नहीं है। ५० बीमारियां डबल बैड पर सोने से होती हैं। 
  • अलग सोने से संयम ,सदाचार व् प्रेम बढ़ता है. 
  •  ब्रह्मचर्य -निधि 
  • सबसे प्रेम करो ,किसी से डरो नहीं।  
  •  जीवन व्यवस्थित नहीं होगा तो तनाव होता है। 
  • आप किसी को मार कर भी आनंदित हो सकते है ,किसी को कुछ दे कर भी।  
  • साकारत्मक क्रिया करो और प्रसन्न रहो। 
  •                                                                               क्रमशः                                                       

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