सोमवार, 14 दिसंबर 2015

"राम सिमर पछतायेगा मन "

दो दिन पहले गली में चार पिल्लों का जन्म हुआ सामने खड़ी  बोलेरो गाड़ी  के नीचे. उनके रोने की आवाज़ बिलकुल शिशु जैसी लगती है।  आज दिन में जब बोलेरो गाड़ी जब नहीं थी तो सामने से एक स्कूल वैन ने एक पिल्लै को मार दिया और एक को  घायल कर दिया. उसकी माँ जब  मृत शिशु पिल्लै के पास  तो बड़ी देर तक उसे चूमती रही उसके सारे बदन पर।  मालूम नहीं घाव देख रही थी या रुदन कर थी. जैसे ही किसी गाड़ी  की आवाज़ आती,दूसरे दोनों पिल्लै एक कोने से सट कर ,सिमट कर खड़े  जाते. माँ हर रूप में एक -सी होती है. इस सब  देखकर मन ने झिंझोड़ा --तू मानव है , बहुत कुछ भला कर सकता है ,फिर कर क्यों नहीं रहा।  समय बीतता जा  रहा है।
"राम सिमर पछतायेगा मन "